Saturday, December 11, 2010

यूं तो झारखंड के शहर देवघर यानि वैद्यनाथधाम में हर साल सीता कल्याणम यज्ञ का आयोजन होता है...जहां सुदूर पहाड़ी इलाकों के गरीब आदिवासी समाज की बेटियों का विवाह संपन्न कराया जाता है...इस पुनित कार्य का शुभरांभ महान योग गुरू स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने किया था....जिन्होंने पिछले साल समाधि ले ली...लेकिन उनके जीवीत रहते देश के किसी भी उद्योगपति को गरीबों की शादी में शरीक होने के लिए वक्त नहीं मिला...और जब इस सीता कल्याणम यज्ञ में प्रसिद्ध फैशन फोटोग्राफर दिया मेहता की शादी जी.बी.के. कंपनी के मालिक कृष्णा के साथ रचाई गई.... नव विवाहित जोड़े को अनिल और टीना अम्बानी ने आशीर्वाद दिया...क्या इसे भी उद्योगपति अनील और टीना अंबानी की किसी महत्वाकांक्षी योजना से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए...क्योंकि, ये वो इलाका है, जहां काफी अरसे से अनिल अंबानी की नजर है...इतना ही नहीं अनिल ने उस वक्त इस आश्रम का रुख किया है..जब करीब 55 देशों से आए बड़े उद्योगपति और राजदूत भी इस आयोजन में शिरकत कर रहे हैं...

3 comments:

  1. ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है।
    देवनगरी देवघर में अब देवता नहीं वास करते, लेकिन फिर भी यहां आस्था के अनुयायियों से लेकर पूंजीपतियों तक के लिए बहुत कुछ है। देश और दुनिया भर में फैले लोग देवघर की परंपरा, संस्कृति के बारे में जानने को बेताब हैं। अगर आप बाबानगरी की मान्यताओं और हसरतों को अपने ब्लॉग में जगह दे पाएं तो बहुत अच्छा हो

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  2. ब्लॉगगिरी की दुनिया में स्वागत है...

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  3. अम्बानी बंधुओं की महत्वाकांक्षा और मानसिकता ईस्ट इण्डिया कम्पनी वाली है | ये अपनी महत्वाकांक्षा को पूरी करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं | उद्योगपतियों के परदे के पीछे की दुनिया का सरांध जो आज उजागर हो रहा है उस सरांध के लिए अम्बानी बंधु बहुत हद तक जिम्मेदार हैं | हर तरफ अँधेरा दिखता है | टाटा जिसे साफ़ सुथरा और इथिक्स वाला समझा जाता था जब उसे भी उसी सरांध का हिस्सा पाया तो बड़ी निराषा हुई | सुरंग के उस पार भी अँधेरा ही दिखता है | कोई नहीं जिसपर भरोसा किया जा सके | विडंबना देखिये कि जिन पर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए था वो सरकार को नियंत्रित कर रहे हैं अपना हित साधने के लिए | शायद हम हीं नपुंशक हो गए हैं | इनका कम से कम निजी तौर पर भी विरोध करने कि बजाय हम या तो किसी मसीहा का इन्तजार कर रहे हैं या जाने अनजाने उसी सरांध का हिस्सा बनते जा रहे हैं | सवाल है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा ?

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